उत्तराखंड में बाल अधिकार संरक्षण आयोग बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के मामले पर अब अधिक संवेदनशील नजर आ रहा है। पिछले कुछ दिनों से बाल अपराधों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है और ऐसे में आयोग हर मुद्दे को गंभीरता से लेकर इस पर सख्त एक्शन की मांग कर रहा है। बाल आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने शिक्षण संस्थानों में बच्चों के साथ लगातार अपराधिक मामले सामने आने पर चिंता जताई है। उन्होंने प्रदेश में सभी मदरसों, शिक्षण संस्थानों, बाल गृह और दिव्यांग केंद्रों की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। आपको बता दें कि पिछले दिनों मदरसे में मौलवी द्वारा बालिकाओं से दुराचार करने, एक अन्य संस्थान में हेडमास्टर द्वारा कथित रूप से बच्चों को यूनिफार्म उतारने के लिए मजबूर करने के मामले में यह निर्देश जारी किए हैं। बाल आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना ने अधिकारियों से जांच में 18 साल तक के बच्चों के संस्थान, मदरसे, बाल गृह को शामिल करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि शिक्षण संस्थानों का संचालन कौन कर रहा है इसकी विस्तार से जांच होनी चाहिए। यानी की शिक्षण संस्थानों के स्वामित्व की पूरी पृष्ठभूमि और विवरण भी जांच में शामिल रहेगा। इतना ही नहीं इस बात की भी जांच होगी कि कहीं सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण करके शिक्षण संस्थानों का निर्माण तो नहीं किया गया है। 15 सितंबर तक कार्यवाही की रिपोर्ट अधिकारी बाल आयोग को सौंपेंगे।
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