सरकारी मशीनरी से जुड़े लोग ही लगा रहे पलीता

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उत्तराखंड में भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई की सरकार की पहल को सरकारी मशीनरी से जुड़े लोग ही पलीता लगाने में जुटे हैं। नया मामला उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग का आया है। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए विभाग ने करोड़ों की मशीन खरीदी पर ये महीने बिना चले ही धूल फांकने के साथ खराब भी हो गई हैं। ऐसे मामले प्रदेश के कई अस्पतालों का है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में रुड़की अस्पताल में लगी करोड़ों रुपये की सीटी स्कैन मशीन ठप पड़ी है। मशीन की सीएमसी ना होने के चलते मशीन के कुछ पार्ट भी ख़राब हुए जिसको सही कराने में लगभग 16 लाख का खर्च आना है लेकिन अस्पताल प्रशासन उसको की दुरुस्त करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई। हाल ही में दून मेडिकल कॉलेज में लगी कैथ लैब के बाद अब श्रीनगर में बिना डॉक्टर की व्यवस्था के ही कैथ लैब स्थापित होने जा रही है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि मशीन खरीदने से पहले यदि पूरे राज्य में डॉक्टरों की तैनाती पर विभागीय मंत्री ध्यान देते तो लोगो को ज्यादा सहूलियत मिलती। उन्होंने विभाग में इशारों इशारों में बड़ा तंज कसते हुए कहा कि मशीन सही कराने वाला व्यक्ति कम कमीशन देगा जबकि खरीदारी में कमीशन अधिक मिलती है जिससे चहेतों को लाभ पहुंचाया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि श्रीनगर में कैथ लेब का लगाना भी बताता है कि डॉक्टर के बिना मशीन का लगाना क्या खेल है। एम्स ऋषिकेश की तर्ज़ पर चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में मशीनों की ख़रीदारी की जाँच सीबीआई से करा दी गई तो कई बड़े खुलासे होना तय है। वहीं दूसरी स्वास्थ्य महानिदेशक विनीता शाह ने कहा कि जो मशीन ठीक हो सकती है उसे ठीक कराया जाएगा और जिसे खरीदने की जरूरत है उसे खरीदेंगे।

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