उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने
विभिन्न केंद्रीय अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिकों के साथ सचिवालय में बैठक की। इस बैठक में आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ मौसम केंद्र के निदेशक डॉ. विक्रम सिंह, केंद्रीय जल आयोग, राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोर्ट सेंसिंग, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, सीबीआरआई रुड़की, एनजीआरआई हैदराबाद, भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण संस्थान कोलकाता तथा देहरादून के संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
बैठक में मानसून सीजन की तैयारियों के संबंध चर्चा की गई। विभिन्न आपदाओं को लेकर जोखिम आकलन, न्यूनीकरण, राहत और बचाव कार्यों पर विस्तार से चर्चा की गई। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाएं हर साल कई चुनौतियां लेकर आती हैं। मानसून के दौरान बाढ़ और भूस्खलन से काफी जान-माल का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन एक विभाग का कार्य नहीं है बल्कि कई विभागों के आपसी सामंजस्य और तालमेल से आपदा की चुनौतियों से निपटा जा सकता है। विभिन्न अनुसंधान संस्थानों की रिसर्च आपदा से प्रभावी तरीके से निपटने में एक दिशा प्रदान कर सकती हैं।
बाइट- रंजीत सिन्हा, सचिव आपदा प्रबंधन
भूस्खलन के साथ ही अन्य आपदाओं से निपटने के लिए विभिन्न संस्थानों ने तकनीक और अनुभवों को साझा किया
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया तथा वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों से पूर्वानुमान को लेकर एक मॉडल विकसित करने को कहा गया, जिससे पता चलेगा कि कितनी बारिश होने पर भूस्खलन की संभावना हो सकती है
आपदाओं के प्रभावों को कम करने के लिए प्रभाव आधारित पूर्वानुमान को बेहद जरूरी बताया
मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के नियंत्रणाधीन नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी को आईआईटी रुड़की द्वारा विकसित भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली का वेलीडेशन करने को कहा गया
इस प्रोजेक्ट से जुड़े डाटा को एमईएस को भेजने के निर्देश दिए, जिससे यह पता लग सके कि यह कितना कारगर है
एनजीआरआई के वैज्ञानिकों से इस पर उत्तराखंड के दृष्टिकोण से कार्य करने को कहा
उन्होंने एनआईएच रुड़की के वैज्ञानिकों को फ्लड प्लेन जोनिंग की रिपोर्ट तथा डाटा के इस्तेमाल कर उत्तराखंड के लिए फ्लड मैनेजमेंट प्लान बनाने के निर्देश दिए
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने बताया कि रियल टाइम लैंडस्लाइड अर्ली वार्निंग सिस्टम पर अमृता विश्वविद्यालय ने कार्य किया है और उनके रिसर्च का लाभ उत्तराखंड में भूस्खलन की रोकथाम में उठाया जा सकता है
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