देहरादून में पेयजल योजना के तहत सौंग परियोजना के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर पर्यावरण प्रेमी अब सरकार से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं। खलंगा में सौंग परियोजना के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के नाम पर साल के करीब दो हजार हरे पेड़ों को काटे जाने की तैयारी है। इसी को लेकर विरोध तेज हो गई है। पेयजल निगम ने खलंगा के निकट ऐसी भूमि चिन्हित की है, जिससे आधे देहरादून शहर को पानी की आपूर्ति की जा सकेगी। करीब तीन हजार करोड़ की सौंग बांध परियोजना में 524 करोड़ की पेयजल परियोजना बनेगी। इसके लिए सौंग बांध के नजदीक ऊंचाई वाले स्थान पर रिजर्व वेयर बनाया जाएगा। पेयजल निगम को 7 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है। जिसमें 4.2 हेक्टेयर भूमि पर 150 एमएलडी का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनेगा। हालांकि सभी पेड़ों पर लाल निशान लगा दिए गए हैं। उधर पर्यावरण प्रेमी पेड़ों को काटे जाने का विरोध कर रहे हैं। उनकी ओर से पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांधा गया है। उन्होंने पेड़ों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन की तर्ज पर आंदोलन शुरू किया है। पर्यावरणविद अनिल जोशी ने कहा कि साल के पेड़ों का कटान कहीं से भी उचित नहीं है। इस पूरे मामले में वन विभाग की ओर से भी एनओसी जारी कर दी गई है। अब संबंधित एजेंसी ने पेड़ों को काटने के लिए उस पर लाल निशान लगा दिए हैं। वन संरक्षक यमुना वृत्त कहकशां नसीम ने कहा है कि वन विभाग की ओर से भूमि हस्तांतरण के प्रस्ताव के बाद पेड़ों की काउंटिंग की जाती है। जितना जरूर होता है उतने ही पेट काटे जाते हैं। ऐसा नहीं है कि उसे क्षेत्र में जितने भी पेड़ हैं सभी पेड़ काटे जाएंगे।
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