उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत ने ईडी की कार्यवाही पर सवाल उठाए हैं। आपको बता दें कि पिछले दिनों हरक सिंह रावत के कई ठिकानों पर ईडी की रेड पड़ी थी। हरक सिंह रावत ने बताया कि कुछ फाइलों और साढ़े तीन लाख रुपए के अलावा घर से कुछ नहीं मिला उन्होंने कहा कि मैंने कोई चोरी, डकैती नहीं डाली, जो ईडी ने ऐसे मेरे घर पर छापा मारा।
पूर्व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा, कोविडकाल के दौरान कालागढ़ डिविजन से दो जनरेटर मिले थे जो छिद्दरवाला में बनाए गए कार्यालय में रखा गया था, इसलिए जनरेटर वहां रख दिया। कुछ समय पहले भी इसी को लेकर कारवाई की गई और अधिकारी जेनरेटर ले गए।
उन्होंने कहा कि मैंने कोई चोरी, डकैती नहीं डाली जो प्रवर्तन निदेशालय ने इस तरह मेरे घर पर छापा मारा। मैं घर पर सो रहा था, अचानक ईडी के लोग आ गए, मेरा मोबाइल ले लिया और पूरे घर की तलाशी ली। उन्होंने कहा कि मंत्री पद से हटने के बाद मेरे निजी सचिव ने डीएफओ को लिखा था कि सरकारी संपत्ति वापस ले ली जाए। विभाग की जिम्मेदारी थी कि वापस ले जाते, इसके लिए छापा मारने की जरूरत कहां थी। पाखरों टाइगर सफारी और ढेला रेस्क्यू सेंटर प्रधानमंत्री का प्रोजेक्ट था। 106 हेक्टेयर में पाखरों टाइगर सफारी के लिए केंद्र सरकार की अनुमति के बाद इसमें काम शुरू हुआ। इसमें 16 हेक्टेयर नॉन फॉरेस्ट के लिए मंजूर हुआ। इस पूरे प्रकरण में मेरी यदि कोई भूमिका है तो वह यह है कि मैंने प्रोजेक्ट की शीघ्र मंजूरी के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया था। उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि मेरे मेडिकल कॉलेज और बहू के एनजीओ के दस्तावेज ले भी ईडी अपने साथ ले गई। हरक सिंह रावत पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री थे और उनके पास वन विभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी। एड की टीम ने उत्तराखंड वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सुशांत पटनायक के घर भी रेट डालकर वहां से करोड़ों रुपए बरामद किए हैं।
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