अखिल भारतीय संत समिति के उपाध्यक्ष, हरिद्वार स्थित जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने सरकार से मांग की है कि पर्यटन और तीर्थाटन को अलग-अलग रखा जाए। उन्होंने तीर्थाटन के लिए अलग से मंत्रालय बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पर्यटन, पर्यटन होता है और तीर्थाटन, तीर्थाटन होता है। महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरी ने सरकार से मांग की है कि पूरे देश में तीर्थाटन और पर्यटन को अलग-अलग रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जितने भी आस्था के केंद्र है धार्मिक स्थान है उनके लिए तीर्थाटन की एक आचार संहिता बननी चाहिए। तीर्थाटन का एक अलग डेकोरम होना चाहिए। वहां की संस्कृति, तीर्थ स्थलों की पौराणिकता, दिव्यता बनी रहे। उन्होंने यह भी मांग की है कि आस्था के केंद्रों का तीर्थाटन की तरह विकास होना चाहिए। पर्यटन स्थलों का पर्यटन स्थल की तरह ही विकास होना चाहिए और तीर्थाटन के लिए अलग से मंत्रालय बनाना चाहिए।
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